INTRODUCTION TO PANCHTATV/ BASIS OF TREATMENT

।।पञ्चतत्वपरिचय।। चिकित्सा आधार ।।प्रकृति ।।


🍃पञ्चतत्व-परिचय 🌸

भारतीय वेद/ दर्शन/ योग/ आयुर्वेद में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं- आकाश, वायु, अग्नि, जलतथा पृथ्वी- इन्हें ही पञ्चमहाभूत माना गया हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। सभी भौतिक पदार्थ पञ्चतत्व की ही सृष्टि है, आत्मा और पञ्चतत्व के संयोग से जीव की स्थूल रूप में परिणिति होती है।

प्रकृति में पांचो तत्व आपस मेंनिरन्तर सन्तुलित रहते है अतः सभी तत्वों के विशेष गुणों को समझकर ही इसे प्राप्त कर सकते हैं।

🗾आकाश :🟫

आकाश का गुण ‘खाली जगह’ होता है इसे अवकाश(रिक्तता)देने वाला भी मान सकते है। शरीर में काफी स्थानखाली होता हैजैसे रक्त नलिकाएं, उदर, गर्भाशय और दो हड्डियों के बीच स्पेस(दूरी) आदि।आकाश में ही ग्रहण करने का गुण भी होता है। आकाश में ही प्राणी गति करते है। ठोस में गति करने के लिये रिक्तता(स्पेस) नहीं रहता है।हम बाह्य और भीतर से आकाश तत्व द्वारा ही घिरे रहते है। हमारे शरीर के भीतर, रक्त गति करता है, असंख्य कोशिकाये कार्य करती है, वायु गति करता है। गति के लिऐ आकाश आवश्यक है। इसके अभाव में इनके कार्य एंव स्थिति सम्भव नहीं होती है।

🌪वायु:💨

वायु का गुण सूखापन या रुक्षता, शीतलता और गति है, जैसे चलना, रक्त परिसंचरण, संवेदी और तंत्रिका संबंधी गतिविधियां, श्वसन, आंखों का खुलना और बंद होना आदि। हमारा शरीर कोशिकाओं से बना होता है और वायु ऊर्जा (ऑक्सीजन, प्राण ऊर्जा) के बिना कोशिकाएं जीवित नहीं रह पातीं।शरीर के सुचारू ढंग से काम करने के लिए जरूरी है कि हमारा श्वसन तंत्र ठीक से काम करे। अगर पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो भोजन का ऑक्सीडेशन नहीं होगा औरन ही ऊर्जा रिलीज होगी।

🔥अग्नि:☄️

अग्नि का गुण है, रूप, चमक या तेज व गर्म । दृष्टि, नजर, , तापमान, रंग, चमक, क्रोध, साहस आदि व्यवहार में ये गुण दिखाई देते हैं।

अग्नि हमारे शरीर की ऊष्मा पाचन व मानसिक क्रियाशीलता के लिऐ आवश्यक है। इसका प्राकृतिक स्रोत है सूर्य।जो हार्मोन हमारी नींद प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, उस पर सूर्य के प्रकाश का सीधा प्रभाव होता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि नियमित आधे घंटे गुनगुनी धूप सेंकना हमारे हृदय, रक्त दाब, मांसपेशियों की शक्ति, इम्यून तंत्र की कार्य प्रणाली सामान्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन गर्मी में ज्यादा देर तेज धूप में रहने से दिमाग में ऑक्सीजन का स्तर प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द होता है और चक्कर आने लगते हैं। शरीर में ऊष्मा की मात्रा कम होने से हृदय रोगों, झटके, तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याओं की आशंका बढ़ जाती है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जठराग्नि मंद पड़ने से पाचन-तंत्र गड़बड़ हो जाता है।

💦जल:💧

जल का गुण तरल, बहना व आकर्षण हैं, जैसे लिम्फ, रक्त, मांसपेशियां, वसा, कफ, पित्त, मूत्र, सीमन, बॉडी फ्लूइड व जीभ आदि।

जल हमारे शरीर का प्रमुख तत्व है। हमारे शरीर के भार का लगभग 60-70 प्रतिशत हिस्सा इसी से बना है। शरीर का प्रत्येक तंत्र इससे जुड़ा है। कोशिकाओं तक पोषक तत्वों को पहुंचाना, कान, नाक और गले के ऊतकों को चिकनाहट उपलब्ध कराने का काम जल तत्व का ही है। शारीरिक तापमान और क्रियाओं को संतुलित रखने के साथ-साथ शरीर से विष (टॉक्सिन) को बाहर निकालने, शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ध्यान यह भी रखें कि पानी हर समस्या का उपचार नही, बहुत अधिक मात्रा में लेने से पोषक तत्व शरीर से जल्दी बाहर निकल जाते हैं। इसी तरह सुबह उठकर एक साथ ढेर सारा पानी पीने से आंखों पर भी दबाव पड़ता है।

🌕पृथ्वी

पृथ्वी का गुण भारीपन, निष्क्रियता व गंध हैं। शरीर के सभी स्थूल भाग अथवा पूरा शरीर ही शास्त्रों में पृथ्वी कहा गया है।

जितना हम आधुनिक जीवन जी रहे हैं, उतना ही मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं। खासतौर पर बड़े शहरों में बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाने के लिए उन्हें बाहर नहीं खेलने दिया जाता। माता-पिता रोगों का हवाला देते हुए बच्चों को मिट्टी में खेलने से मना कर देते हैं। जबकि सच यह है कि प्रदूषण रहित मिट्टी हमें बीमार नहीं बनाती, बल्कि कई रोगों से दूर रखने में सहायता करती है। मिट्टी में सभीखनिज तत्व होते हैं, जो हमारे इम्यून तंत्र, कार्यप्रणाली और मूड पर अच्छा असर डालते हैं।

🔹 पञ्चतत्व चिकित्सा का आधार--

पञ्चतत्व कोई नई बात नही हैहम अपने आसपास जो देख रहे है महसूस कर रहे हैं, यही है -

जी हाँ, पृथ्वी, जल, वायु अग्नि व आकश, जो प्रकृति में प्रत्यक्ष है और हमारे शरीर मे भी प्रकृति के समान सन्तुलित अवस्था मे है।

प्रकृति हो या शरीर किसी एक मे भी किसी तत्व की अधिकता या तीव्रता व्याधि उत्पन्न करती है, प्रकृति में वायु अति हो जाये तो तूफान का रूप जो प्रकृति में व्याधि बन जाती है, सब कुछ तहस नहस करके रख देती है वैसे ही शरीर मे भी वायु अधिकता हो जाये तो शरीर मे व्यधि से तो तहस नहस करके खूब यातनाएं देती है

सभी तत्वों का यही गति है, पांचों तत्व सन्तुलन में है तो सब सुंदर, स्वस्थ्य, निरोग है।

पञ्चतत्व चिकित्सा का आधारपञ्चतत्व का संतुलन है, अर्थात पांचों तत्व आपस मे हमेशा सन्तुलन का प्रयास करते रहते है यही इस चिकित्सा का आधार है, जो तत्व अधिक है उसको कोई अन्य तत्व नियंत्रण करता है, जैसे गर्मी (अग्नि)से जब धरती तप जाती है तो बारिश में पानी(जल)से संतुलन में आ जाता है, ऐसे ही शरीर मे भी होता है, गर्मी से शरीर व्याकुल हो जाये तो शरीर खुद पानी की मांग करता है और व्यक्ति पानी से उसको सन्तुलन करता है, बस यहीपञ्चतत्व चिकित्सा का आधार है।

🔹पचतत्वों की 25 प्रकृतियाँ

इन पञ्चतत्वों/ पाँच महाभूतों में ही समस्त सृष्टि और समस्त जीव शरीरों की रचना हुयी। इन महाभूतों के आपसी समन्वय से प्रत्येक तत्व की पाँच प्रकृतियां उत्पन्न हो गयीं, और पञ्चतत्वों के इसी स्वरूप से पूरा ब्रह्मांड और शरीर की स्थितियाँ और समस्त भावनाएं निर्मित हुए यथा-

पूरे शरीर के संचालन में इन्ही 25 प्रकृतियों का खेल है।

HOW TO JOIN PANCHTATVA
।।पञ्चतत्वसे जुड़ें ।। प्रसार वसमन्वय ।।


💧पञ्चतत्व से हम क्यो जुड़े----

हमारा शरीरपञ्चतत्व से ही बना है अतः हमेंपञ्चतत्व से जुडने की जरूरत, है ही नही,बस उसे समझने की जरूरत है किपञ्चतत्व क्या है?और उनके क्या गुणधर्म व प्रकृति है?, और येशरीर मे जब असन्तुलित है तो शरीर स्वस्थ्य से बीमार हो जाता हैऔर उसको सन्तुलित कैसे करे और उनको कैसे सन्तुलन में रखा जाए...।

क्योकीअंदर व बाहर दोनो जगह पांचों तत्व सन्तुलन में है तो कोई व्यधि आ ही नही सकती, कुछ चीज अपने हाथ मे व प्रयास में होती है तो कुछ प्रकृति के।

हम प्रकृति के साथ तो समायोजन कर सकते हैं साथ ही अपने शरीर के तत्त्वों को प्रयासपूर्वक सन्तुलन में रख सकते है।इस अभ्यास को करने वपञ्चतत्वों को समझने के लिऐ उससे जुड़ना होगा, ताकि हम सभी बिना किसी दवाई व कष्ट के जीवन यापन कर सके।

🔸 पञ्चतत्व आरोग्य सेवा संस्थान प्रसार व समन्वय---

पञ्चतत्व आरोग्य सेवा संस्थान पूर्णतः प्राकृतिक व पंचतत्वों के आधार पर बिना किसी दवाई व निशुल्क चिकित्सा करता है,जो भी साथी यहाँ आते है वो केवल एक गूगल फॉर्म से अपने जानकारी देकर चिकित्सा लाभ ले सकता है, इसमे जुड़ने के लिएटेलीग्राम (TELEGRAM) में लिंक से जुड़ा जा सकता है,जो लिंक नीचे है👇
Click Me

साथ हीपञ्चतत्व संस्थानसमय समय परपञ्चतत्व को समझने व उससे चिकित्सा शिक्षण का भी व्यवस्था करता है अतः उससे पंचतत्वों को सूक्ष्मता से जाना जा सकता है अतः संस्थान के साथ आकर पंचतत्वों को करीब से जान सकते है उसके प्रभाव को देख व समझ सकते है।

🔹🔹🔹🔹♦️ध्यान रखे♦️🔹🔹🔹🔹

हमारा संस्थान कोई भी दवाई,न ही बनाता है, न बेचता है और न ही हमारी चिकित्सा में कोई दवाई प्रयोग होता है, यहां ऑनलाइन चिकित्सा पूर्णतः निशुल्क हैअतः कोई भी व्यक्ति या संस्था,हमारे संस्थान/ पञ्चतत्व के नाम से किसी दवाई या शुल्क का दावा/प्रचार करता है तो उनसे सावधान रहें। हमारी कोई दूसरी शाखा नही है🎋 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹

पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान KMP चौक, आटोहा मोड़, पलवल, 121102, हरियाणा (भारत) +91 72061 08990

पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थानपरिचय - PANCHTATV AROGYAM SEWA SANSTHAN

पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान, ने 2008 में अपना कार्य प्रारंभ किया। संस्थान का मुख्य उद्देश्य मानव मात्र की सेवा है। पंचतत्त्व चिकित्सा सिद्धांत हमे बतलाता है किस प्रकार मानव प्रकृति के सानिध्य में रहकर विभिन्न शारीरिक/मानसिक/सामाजिक/समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।

पञ्चतत्व चिकित्सा शिविर का आयोजन देश के अलग-अलग राज्यों में समय-समय पर होता है। जिसमें एक एक शिविर में 600 से 700 और कभी-कभी 1000 तक के लोग चिकित्सा लाभ लेते हैं। इस शिविर के माध्यम से लोग बहुत ही सरलता से ठीक हुए। हजारों लोगों का जीवन परिवर्तन हुआ वह भी बिना किसी बड़ी व्यवस्था के। शिविर में ही लाभ देखने को मिले थे कि एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी बढ़ गई थी, लकवा रोगी ठीक हुए, वात रोग से संबंधित काफी सारीबीमारियां ठीक हुई, L4-L5 की समस्याओं में लोगों को राहत मिली, गर्भाशय की गांठ थायराइड,बीपी,अर्थराइटिस, शुगर ठीक हुआ।

आज केसमय में हम सब भी चिकित्सा कर रहे हैऔर लगभग हजारोमरीजों की चिकित्सा कर चुके है,जिसमें अनेकों प्रकार के रोग है जिनमें से बहुत सारे रोगों का नाम हम खुद भी नहीं जानते। ऐसीबीमारियों में भी लोगों को इस पञ्चतत्व चिकित्सा से लाभ मिला वह भी बिना किसी रासायनिक दवाई केऔर इस कोरोनाकाल के संकट में हम खुद और मेरे परिवार वालों के साथ समाज के काफी सारे लोगों को इस चिकित्सा से लाभ मिला।पञ्चतत्व की अनेकों उपलब्धियां है जिसे पूरी तरह से बता पाना बहुत मुश्किल है।

सेवा ही मुक्ति मार्ग है!

वैदिक संस्कृति से प्रेरितपञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान आचार्य ब्रजमणी जी के नेतृत्व में आज हमारे सैकडों कार्यकर्ता 15 से अधिक देशो में व अनेक राज्यो में पुनीत सेवा कार्य कर रहे हैं।

प्रतिदिन हमें अनेको माध्यम से असाध्य व हर तरफ से निराश रोगी प्रतिदिन संपर्क करके ऑनलाइन / व्यक्तिगत चिकित्सा प्राप्त करके सफलता से लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जिनकी संपूर्ण डिटेल्स हमारे पास उपलब्ध है।

हमारे मार्गदर्शक आचार्य ब्रजमणी जी 2008 से चिकित्सा क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, और 2017 से सिर्फपञ्चतत्व चिकित्साजिसमें किसी भी औषधि की आवश्यकता नहीं रहती है, से सेवा कार्य कर रहे हैं।

आजपञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान जैविक कृषि आधुनिक व वैदिक रीति से, बच्चों के शिक्षण कार्य वैदिक रीति से, गौमाता कि सेवा वैदिक स्वरूप में, वृक्षारोपण जिसमें पारिस्थि के तंत्र को ध्यान में रखते हुए, मन्त्र उपचार पर वैदिक शोध पर कार्य कर रहा है।

जल्द हीपञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान बुजुर्ग व अनाथ बालको की भी सेवा का कार्य शुरू करेगा।

हमारेपञ्चतत्व प्रेरक निःशुल्क ऑनलाइनव व्यक्तिगत रूप से न्यूनतम सेवा शुल्क के साथ सेवाएं देते हैं, साथ ही खरीद फरोख्त व बाजार वाद से दूर रहते हैं।

पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान समाज के सभी वर्ग से सेवाभावी लोगो का स्वागत करता है, जो लोग किसी दूसरे की पीड़ा से व्यथित होता है, क्योंकिपञ्चतत्व चिकित्सा सिर्फ चिकित्सा तक ही सीमित नहीं है, यह आपके व्यवहार, जीवनसाथी, व्यापार / रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव डालता है व परिस्थितियों को बेहतर भी करता है।

।। जीवनपरिचय ।। प्रेरणा ।। उपलब्धियाँ ।।
🌸जीवन परिचय 🌸

आचार्य श्री ब्रजमणीशास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा जिला में एक मध्यमवर्गीय किसान के घर हिंदू परिवार में तीसरी संतान के रूप में हुआ। इनके पिता का नाम श्री लाल सिंह जो एक किसान है और माता श्रीमती सोमवती देवी जो एक साधारणगृहिणी है।ब्रजमणि शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुआ और बाकी की शिक्षा वृंदावन के गुरुकुल में हुई। बचपन से ही रासायनिक खाद व रासायनिक दवाई के प्रति मन में खेद रहता था। गांव की क्षेत्रों की जो परंपराएं टूट रही थी जो भारतीयों के अंदर आपसी प्रेम था वह खत्म हो रहा था उसे देखकर हमेशा व्याकुल रहते थे। लोगों को अपनी भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए कथा वाचक बने। और सन 2001 से भागवत कथा कहने लगे। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में काफी नाम व ख्याती प्राप्त किए।

गुरुकुल गए, महाविद्यालय गए कथा वाचक बने लेकिन किसी में मन नहीं लगा, हमेशा खोए खोए रहते थे। आखिर हमारा जन्म क्यों हुआ और करना क्या। और समाज की स्थितियां क्यों बिगड़ रही है ऐसा लगता था की कुछ विशेष तलाश में थे जो उन्हेंनहीं मिल रहा था हमेशा मन में अजीब सा रहता था कि उसे कुछ और चाहिए। सीधा सा उनको यह लगता था कि हमारे गांव की, क्षेत्रों की परंपराएं टूट रही हैलगातार टूटती चली जा रही है। जो सुख शारीरिक भी जा रहा है और मानसिक भी जा रहा है। तीज त्यौहार सब खत्म हो रहे हैं। उद्देश्य उनका यह था कि जो भारतीयों के अंदर प्रेम था वह खत्म हो रहा है और उसे कैसे संभाला जाएगा। इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहे इसी बीच में सन 2008 में भागवत कथा के मंच में राजीव दीक्षित जी से मुलाकात हुई और उसी मंच पर राजीव दीक्षित जी का व्याख्यान हुआ। जोभारतीय संस्कृति, सभ्यता, कृषि और चिकित्सा पर आधारित थी। उसे सुनने के बाद उन्हें बड़ा सुकून लगा कि अब उनकी तलाश कुछ कम हो रही है। उसके बाद गुरु जी ने अपना अध्ययन का भागवत कथा का जो काम था उसे छोड़ दिए क्योंकि यहां उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा था। राजीव दीक्षित जी से मिलने के बाद आयुर्वेद में बीएमएस की लेकिन वहां की व्यवस्था देख कर मन नहीं लगाफिर होम्योपैथिक में गए। वहां भी कुछ समय तक रहे फिर उसे छोड़ दिए। उन्हें लगा कि इस समय की शिक्षा व्यवस्था में चले गए तो संस्कृति पर बात नहीं कर पाएंगे। 30 नवंबर 2010 में राजीव दीक्षित जी के देहांत के बाद उनके कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी भीड़ आई व्यापार के नाम से लेकिन गुरु जी ने अपना रास्ता अलग कर दिए। और अलग से काम करने लगे।

आयुर्वेद में गए वैकल्पिक शिक्षा में गए भटकते रहे इन्हीं बीच उनकी तबीयत खराब होती चली गई। तभी अचानक एक दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हुए एक पेड़ के नीचे किसी संत व्यक्ति से मुलाकात हुई और उनसे लगभग 3 घंटों तक वार्तालाप चला वार्तालाप के बाद उन्हें लगा कि इस व्यक्ति में कुछ तो बात है और उन्होंनेफिर अपनी बीमारी के बारे में बताया। आपकी बात सुनते ही उस संत व्यक्ति नेपञ्चतत्व चिकित्सा के बारे में उन्हें बताया।आप उन्हीं संत व्यक्ति के शिष्य बन गए और गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत 5 सालों तक अध्ययन करने के बाद उन्हें गुण रहस्य में ज्ञान प्राप्त हुआ।

इसके बाद गुरुजी इस चिकित्सा में लगे रहे और लोग धीरे-धीरे इस चिकित्सा सेजुड़ते गए। राजीव दीक्षित जी के कार्यकर्ताओं के माध्यम से सोशल मीडिया में पोस्ट डालते गए इसी दौरान अनेकानेक देश समाज के वे लोग जुड़ते गए तो वास्तवमें भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खड़ा होने की इच्छा रखते थे जो वर्ग आधुनिक एलोपेथी की लूट से तंग आकर अपना धन जीवन नष्ट करते जा रहे है वे इस क्रम मेंगुरु जी की साधारण सामान्य भेष भूषा, बोली भाषा से व्यवहार जो आधुनिक चकाचौंध से बिल्कुल अलग थी जो आधुनिक समाज के लिये बिल्कुल आकर्षण का केन्द्र नही था लेकिन फिर भी गुरु अपने ही सिद्धान्तों को आधार बनाकर आगे बढ़ते रहे है, जो कि आज संस्थान के माध्यम से हजारों रोगियों के अनेकानेक प्रमाण हर दिन देखने को मिल रहे है। इसीक्रम को आगे बढ़ाते हुए धीरे धीरे ऐसे लोगो की सख्या बढ़ती गई जो रोगी थे गुरु जी अनेकानेक शिविरों के माध्यम से जो भारतीय संस्कति के चर्चाओं में समाज का रुझान बढ़ता गया आदि और लोगों कीजानने की इच्छाएं बढ़ती गई की यहचिकित्सा क्या है और कैसा काम करता है।

उस समय भी रोगियों की संख्या एक दिन में लगभग 100 से डेढ़ सौ तक की होती थी। जो आज भी निरंतर चल रही हैप्रमोद मिश्रा जी और मनीष मित्तल जी के कहने पर गुरु जी इस प्राचीन चिकित्सा को लोगों को सिखाने के लिए तैयार हुए, और आज इस चिकित्सा को सीख कर हम अपना, अपने परिवार वालों की और समाज की सेवा कर पा रहे हैं। गुरु जी, प्रमोद मिश्रा जी और मनीष मित्तल जी को हम हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।

🌸गुरु जी हमारे प्रेरणा स्रोत इस प्रकारबने🌸

इस आधुनिक चकाचौंध की दुनिया में जहां इंसान अपनी विलासिता की चीजों का उपभोगकर रहा है और दूसरी संस्कृति सभ्यता के प्रलोभन में आकर अपनी संस्कृति और सभ्यता का नाश कर रहा है। जिसकी वजह से हमें उपहार में अनेकों बीमारियां मिल रही है जिसके चिकित्सा के लिए हम इसी आधुनिक चिकित्सा की ओर भाग रहे हैं। इस दवाइयों का सेवन करते करतेस्वास्थ्य तो ठीक नहीं हुआ लेकिन और बीमारियां हमें मिल गई हमारा पैसा तो गया, समय गया और शरीर पूरी तरह से रासायनिक हो गया इस रासायनिक शरीर में मन और भावनाएं बदल गए।

इसी सभी के बीच हमने एक ऐसी चिकित्सा को देखा जो पूरी तरह से रसायन मुक्त थी। जिसमें पांच तत्वों से चिकित्सा की चर्चा थी। कभी हमने किताबों के अलावा आम जीवन में पांच तत्व के बारे में सुना नहीं।पञ्चतत्व से चिकित्सा हमारे लिए आश्चर्य की बात थी। हमने शिविर में गुरु जी को चिकित्सा करते देखा और इस चिकित्सा से लोगों को लाभ मिलते देख कर यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि बिना दवाई के लोग कैसे ठीक हो सकते हैं। लेकिन यह तो सत्य था कि लोग ठीक हो रहे थे और ऐसे रोगी भी थे जो कभी एलोपैथिक चिकित्सा सेकभी ठीक नहीं हो सकते थे। उनकोभी इस चिकित्सा से लाभ मिल रहा था। फिर गुरुजी से प्रेरणा लेकर चिकित्सा सीख लिए फिर क्या था प्रकृति के सारे रहस्य खुल गए।पञ्चतत्व से बना यह शरीर। और उसकी बीमारियां कहीं बाहर की कैसी हो सकती है। गुरु जी और प्रकृति से प्रेरणा लेकर हमने अपना और अपने परिवार वालों का स्वास्थ्य तो ठीक किया उसके साथ जनसेवा। लोगों की सेवा के लिए लग गए। इस चिकित्सा के माध्यम से अर्थात गुरु जी से हमने अपनी पुरातन संस्कृति भारतीय संस्कृति। की रीति रिवाज खान-पान रहन-सहन को सही तरीके से समझ पाए। उनके प्रति हमारी श्रद्धा बढ़ी। विदेशी सभ्यता के चक्रुव्यूह से बाहर आए और अपनी पुरानी संस्कृति को अपने घर वापस लाएं। देश, काल और परिस्थितियों को समझ पाए। इस चिकित्सा के माध्यम से जब। हमारा शरीर रसायन मुक्त हुआ तो हमारा मन मस्तिष्क और हमारी भावनाओं में पवित्रता आई।

गुरु जी से हमने यहभी प्रेरणा लिए की जैसी प्रकृति के मौसम में परिवर्तन आता है उसके साथ हम भी अपने आप को प्रकृति के अनुसार बदलने की कोशिश करें। जैसे कि किस मौसम में किस रंग का वस्त्र पहने यदि बारिश हो रही है तो हम अपने खानपान में बदलाव कर दें। ठंडी गर्मी व बारिश है तो।हमारा भोजन रहन-सहन व पहनने के वस्त्रप्रकृति के बदलते मौसम के अनुसार हो। उसके साथ ही साथ अपने शरीर की ऊर्जा को भी समझना। सचमुच आज हम अपने आपको ही नहीं प्रकृति के जीव जंतु पेड़ पौधों की प्रवृत्तियों को भी समझ पा रहे हैं। और उनके प्रति हमारा नजरिया ही बदल गया है। और एक दूसरे की ऊर्जा को समझने के कारण आज परिवारों में आपसी सामंजस्य बहुत अच्छे से हो पा रही हैं। तत्वों के माध्यम से रिश्तो के आपसी संबंधों को समझ पाए। अपने समाज में फैले हुए कहावतों को अपने जीवन से जोड़ कर पञ्चतत्त्वके माध्यम से बीमारियों की हरकतों को जान पाए।

गुरु जी की प्रेरणा से ही प्रारब्ध के कष्टों को भी समझ पाए और उसके प्रति जो हमारे मन व शरीर में दुख की वेदना थी। उसे भी हम सामान्य समझने लगे और उसके प्रति जो द्वेष पालकर कष्टों को बढ़ा रहे थे आज स्वीकार करना सीख गए।पञ्चतत्व मात्र चिकित्सा नहीं यह तो पूरा जीवन जीने की कला है।

संस्थान की सेवाएं
संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति “सेवा/ योगदान” कैसे देती है?

हम सभी जानते है कि आजकल पूरी दुनिया सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, व्हाट्सएप, टेलीग्राम में पूरे समय जुड़ी/ लगी रहती है और कभी कभी व्यक्ति अपना अनमोल समय बिना किसी विशेष उद्देश्य के सोशल मीडिया पर व्यर्थ ही व्यतीत करते है।वहीं संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति के सदस्य सेवा देने के लिए अलग से कोई समय नहीं निकालते, न ही अलग से कोई कार्य करते है बल्कि सोशल मीडिया में व्यतीत करने वाले समय का ही उपयोग सेवा कार्य में लगा रहे है।और वह इस तरह से अपने जीवन के बहुमूल्य/ खाली समय को जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाकर एक स्वस्थ दवा रहित समाज के निर्माण में सहयोगी बन रहे है।“ पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान” में पूरा कार्य सेवाभाव के तहत किया जा रहा है।किसी का भी किसी से कोई निजी/ आर्थिक लाभ पाने का कोई उद्देश्य नहीं है।

संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति लोगों तक कैसे चिकित्सा पहुंचाती है?

संस्थान के एडमिन द्वारा 24 घंटे में “ऑनलाइन गूगल फॉर्म” द्वारा प्राप्त हुए रोगी प्रपत्र को ऑनलाइन सेवा समिति के सदस्यों/ चिकित्सकों को आवंटित किया जाता है।चिकित्सक अपने आवंटित रोगी प्रपत्र को देखकर रोगी के व्यक्तिगत व्हाट्सएप/ टेलीग्राम/ फोन नंबर पर संपर्क करकेपञ्चतत्व दिशा निर्देशों को देकर चिकित्सा शुरू करते है।चिकित्सा शुरू होने के पश्चात् रोगी को दी गई चिकित्सा के क्या परिणाम (से कितना आराम) है इस बात को रोगी को चिकित्सा शुरू होने के शुरूआती 15 मिनट में, 24 घंटे में और समय समय पर अपने चिकित्सक को बताना होता है।चिकित्सीय उपचार के दौरान रोगी से आवश्यकतानुसार कुछ प्रश्न पूछे जाते है जिसके आधार पर रोगी की सही ऊर्जा का निर्धारण कर उपचार दिया जाता है।जिससे रोगी कुछ ही मिनटों में, घंटो में, या रोगी की स्थिति अनुसार कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ हो जाता है।

यदि किसी रोगी को इमरजेंसी/ आपातकाल है तो रोगी सीधेपञ्चतत्व चिकित्सा समूह के एडमिन से संपर्क करके चिकित्सा/ परामर्श ले सकता है।

निःशुल्क ऑनलाइन सेवा पंजीकरण
पञ्चतत्व चिकित्सा का लाभ आप कैसे प्राप्त कर सकते है?

पञ्चतत्व चिकित्सा की विशेष बात यह है कि यहाँ रोगी सामान्य या असाध्य किस रोग से ग्रसित है इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है यहाँ “रोग की चिकित्सा नहीं अपितु रोगी की सम्पूर्ण चिकित्सा” की जाती है।इस चिकित्सा पद्धति में रंग/मेथी दाना/ प्राकृतिक बीज/चुम्बक/अलग अलग रंग के परिधान/ दिशा आदि आदि का उपयोग किया जाता है कोई भी दवा नहीं दी जाती है।किसी जगह या हॉस्पिटल जाना नहीं होता है बस घर बैठे ही चिकित्सक द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना होता है।आप भी इस चिकित्सा का लाभ ऑनलाइनफॉर्म भरकर प्राप्त कर सकते है।

ऑनलाइन रोगी प्रपत्र (फॉर्म) भरने के लिए नीचे दिए गए लिंक website पर क्लिक करें।

पञ्चतत्व आरोग्यम (चिकित्सा) सेवा संस्थान से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए टेलीग्राम लिंक पर क्लिक करें। https://t.me/panchtatvchikitsa

OUR MISION - संस्थानकालक्ष्य

प्राचीन वैदिक पद्धति (पंचतत्व चिकित्सा) के अनुभव के माध्यम से लोगों को खुश और स्वस्थ बनाकर इस ग्रह पर जीवन को बदलने के लिए लक्ष्य।

OUR MISION - प्रेरणा

"वैदिक पंचतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान (vedicpass) में हम सभी स्तरों पर मानव जाति और समाज के कल्याण के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे ताकि इस हरि इच्छा में अपना योगदान देकर हरिकृपा और गुरु का आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सके। संस्थान के "रोगमुक्त अभियान" के प्रेरणा के अनुसार सभी को स्वस्थ रहने का अधिकार है "।

TRAINING प्रशिक्षण
पञ्चतत्व चिकित्सा प्रशिक्षण क्यों लेना चाहिये?

क्या हम सभी ये विचार कर पाते है कि ब्रह्मांड हमें हरपल कितनी चीजें मुफ्त दे रहा है जिनके बिना हम अपने जीवन जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते, जिनका कोई मोल नहीं है जैसे हवा, पानी, सूर्य प्रकाश आदि।जिसके लिए हम प्रकृति का जितना भी आभार व्यक्त करें कम ही होगा।हमें सोचना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रकृति के साथ चलकर अपनी व्यस्ततम जीवन के कुछ पल हम प्रकृति की सेवा में दें, एवं अपने भौतिक व आध्यात्मिक जीवन को उन्नत बनायें।

“पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान” का उद्देश्यपञ्चतत्व चिकित्सा को हर एक घर तक पहुँचाना है।इसी उद्देश्य के तहत संस्थान द्वारा समय समय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किये जाते है।जिसे हर वह व्यक्ति (चाहे वह किसी भी उम्र/ वर्ग/ Qualification/ Education का हो) प्राप्त कर सकता है जो प्रकृति को समझना चाहता हो, प्रकृति के अनुसार चलना चाहता हो, जानना चाहता हो कि:

पञ्चतत्व क्या है?

हमारे दैनिक जीवन मेंपञ्चतत्व कैसे उपयोगी है?

हमपञ्चतत्व चिकित्सा से कैसे घर बैठे ही बिना दवा खाये/ बिना हॉस्पिटल जाये स्वयम् व परिवार की चिकित्सा कर सकते है?

कैसेपञ्चतत्व को अपनाकर/ समझकर हम अपने पूरे जीवन की दशा और दिशा में परिवर्तन ला सकते है?

संस्थान द्वारा आयोजित किये जाने वाले प्रशिक्षण की जानकारी संस्थान की वेबसाइट, youtube, टेलीग्राम समूह, फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ब्लॉग आदि से प्राप्त की जा सकती है।अभी तक संस्थान द्वारा 42 से अधिक ऑनलाइन/ ऑफलाइन प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा चुके है जिसमें देश के हर कोने से हजारों व्यक्ति ही नहीं वरन विदेशों (सिंगापुर, दुबई, USA, ऑस्ट्रेलिया) के व्यक्ति भीपञ्चतत्व का प्रशिक्षण लेकर अपनी सेवाए देश व समाज हित में दे रहे है।

पञ्चतत्व चिकित्सा प्रशिक्षण प्रक्रिया: संस्थान समय समय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण देता है जिसकी सूचना सभी नेटवर्किंग चैनल पर दी जाती है। प्रशिक्षण की सूचना जारी होने पर आगामी प्रशिक्षण में आवेदन की प्रक्रिया इस प्रकार है- सर्व प्रथम आप नीचे दिए गए Telegram channel को Subscribe करिए https://t.me/panchtatvchikitsa

INSTITUTE’S PROCESS TO SERVE MANKIND - संस्थान की सेवा समिति का “सेवा/योगदान” देने की प्रकिया


संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति “सेवा/योगदान” कैसे देती है?

हम सभी जानते है कि आजकल पूरी दुनिया सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, व्हाट्सएप, टेलीग्राम में पूरे समय जुड़ी/लगी रहती है और कभी कभी व्यक्ति अपना अनमोल समय बिना किसी विशेष उद्देश्य के सोशल मीडिया पर व्यर्थ ही व्यतीत करते है।वहीं संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति के सदस्य सेवा देने के लिए अलग से कोई समय नहीं निकालते, न ही अलग से कोई कार्य करते है बल्कि सोशल मीडिया में व्यतीत करने वाले समय का ही उपयोग सेवा कार्य में लगा रहे है।और वह इस तरह से अपने जीवन के बहुमूल्य/खाली समय को जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाकर एक स्वस्थ दवा रहित समाज के निर्माण में सहयोगी बन रहे है।“ पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान” में पूरा कार्य सेवाभाव के तहत किया जा रहा है।किसी का भी किसी से कोई निजी/आर्थिक लाभ पाने का कोई उद्देश्य नहीं है।

संस्थान की ऑनलाइन सेवा समिति लोगों तक कैसे चिकित्सा पहुंचाती है?

संस्थान के एडमिन द्वारा 24 घंटे में “ऑनलाइन गूगल फॉर्म” द्वारा प्राप्त हुए रोगी प्रपत्र को ऑनलाइन सेवा समिति के सदस्यों/चिकित्सकों को आवंटित किया जाता है।चिकित्सक अपने आवंटित रोगी प्रपत्र को देखकर रोगी के व्यक्तिगत व्हाट्सएप/टेलीग्राम/फोन नंबर पर संपर्क करकेपञ्चतत्व दिशा निर्देशों को देकर चिकित्सा शुरू करते है।चिकित्सा शुरू होने के पश्चात् रोगी को दी गई चिकित्सा के क्या परिणाम (से कितना आराम) है इस बात को रोगी को चिकित्सा शुरू होने के शुरूआती 15 मिनट में, 24 घंटे में और समय समय पर अपने चिकित्सक को बताना होता है।चिकित्सीय उपचार के दौरान रोगी से आवश्यकतानुसार कुछ प्रश्न पूछे जाते है जिसके आधार पर रोगी की सही ऊर्जा का निर्धारण कर उपचार दिया जाता है।जिससे रोगी कुछ ही मिनटों में, घंटो में, या रोगी की स्थिति अनुसार कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ हो जाता है।

यदि किसी रोगी को इमरजेंसी/आपातकाल है तो रोगी सीधेपञ्चतत्व चिकित्सा समूह के एडमिन से संपर्क करके चिकित्सा/परामर्श ले सकता है।

पञ्चतत्व आरोग्यम (चिकित्सा) सेवा संस्थान से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए टेलीग्राम लिंक पर क्लिक करें। https://t.me/panchtatvchikitsa

PANCHTATV RESEARCH - पञ्चतत्व चिकित्सा शोध

पञ्चतत्व चिकित्सा का एक समूह वैदिक शास्त्रों पर निरंतर शोध करता है। जिसे समय समय पर निदान में प्रयोग करके परीक्षण के परिणामों के आधार पर चिकित्सा में प्रयोग के लिऐ तय करता है। शोध का उद्देश्य निदान में तुरन्त प्रभावकारी व किसी भी बाहरी संसाधन रहित चिकित्सा पर जोर दिया जाता है।

Attention - ध्यानरखे

हमारा संस्थान कोई भी दवाई , न ही बनाता है, न बेचता है और न ही हमारी चिकित्सा में कोई दवाई प्रयोग होता है, यहां ऑनलाइन चिकित्सा पूर्णतः निशुल्क हैअतः कोई भी व्यक्ति या संस्था ,हमारे संस्थान/पंचतत्व के नाम से किसी दवाई या शुल्क का दावा/प्रचार करता है तो उनसे सावधान रहें।:leaves:हमारी कोई दूसरी शाखा नही

पञ्चतत्व आरोग्यम सेवा संस्थान KMP चौक, आटोहा मोड़, पलवल, 121102, हरियाणा (भारत) +91 72061 08990